भारत में मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर का मॉडल

Mini Nuclear Power Plants: क्या भारत भी अपनाएगा?

भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग और नेट-ज़ीरो जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को देखते हुए, अब छोटे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स यानी Small Modular Reactors (SMRs) को भविष्य की तकनीक माना जा रहा है। क्या भारत इन मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को अपनाएगा? इस लेख में जानिए पूरी जानकारी – तकनीक से लेकर सरकारी नीति तक।

छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर क्या होते हैं?

Small Modular Reactors (SMR) वो छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर होते हैं जो परंपरागत बड़े प्लांट्स की तुलना में कम जगह, कम लागत और अधिक सुरक्षा के साथ आते हैं। इनकी क्षमता आमतौर पर 30 से 300 मेगावाट तक होती है। भारत में दो प्रकार के SMR पर काम हो रहा है:

  • BSR-55 (Bharat Small Reactor – 55MW) – छोटे औद्योगिक क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों के लिए
  • BSMR-200 (Bharat Small Modular Reactor – 200MW) – इंडस्ट्रियल captive use और पुराने थर्मल प्लांट्स के रिप्लेसमेंट के लिए

भारत में SMR पर सरकारी पहल

2025 के बजट में भारत सरकार ने SMR तकनीक को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना की घोषणा की। NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Limited) इन SMRs को विकसित कर रहा है और इसके लिए ₹20,000 करोड़ से अधिक का R&D बजट तय किया गया है।

सरकार ने Public-Private Partnership (PPP) मॉडल को भी अपनाया है, जिसमें तकनीकी संचालन NPCIL करेगा और भूमि, पूंजी और सप्लाई कनेक्शन प्राइवेट कंपनियों से लिए जाएंगे।

SMR का उपयोग कहां हो सकता है?

  • स्टील, सीमेंट, और एल्यूमिनियम इंडस्ट्री – जिन्हें 24×7 स्थायी ऊर्जा चाहिए
  • NTPC और BHEL जैसे सरकारी संगठन – जो पुराने कोयला प्लांट्स को SMR से बदलना चाहते हैं
  • रेलवे और डिफेंस ज़ोन – जहां ग्रिड कनेक्टिविटी सीमित है

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत ने फ्रांस और अमेरिका के साथ SMR साझेदारी की है। NTPC, Holtec (USA), और रूसी कंपनियों के साथ मिलकर तकनीकी सहयोग बढ़ा रहा है। यह भारत को हाई-टेक और सुरक्षित न्यूक्लियर तकनीक हासिल करने में मदद करेगा।

फायदे क्या हैं?

पहलूविवरण
✅ तेज़ निर्माणSMR यूनिट फैक्ट्री में बनते हैं, साइट पर जल्दी इंस्टॉल हो जाते हैं
✅ किफ़ायतीबड़े न्यूक्लियर प्लांट की तुलना में लागत और ज़मीन दोनों कम
✅ लोकेशन फ्रेंडलीरिमोट एरिया और इंडस्ट्री दोनों के लिए उपयुक्त
✅ सुरक्षितनई तकनीक आधारित हैं, रेडिएशन रिस्क भी कम

चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अभी तक SMR के लिए स्पष्ट नीति और सुरक्षा गाइडलाइन तय नहीं हुई
  • आम जनता में न्यूक्लियर एनर्जी को लेकर अविश्वास
  • सोलर और विंड एनर्जी की तुलना में लागत ज़्यादा
  • क्लियरेंस और परमिशन प्रक्रिया जटिल

भारत का SMR रोडमैप

  • 2033 तक भारत का पहला BSR-55 रिएक्टर चालू किया जाएगा
  • 2047 तक भारत का लक्ष्य है 100 GW न्यूक्लियर एनर्जी का, जिसमें SMR की बड़ी भूमिका होगी
  • Policy Level: पॉलिसी और रेगुलेशन को SMR के अनुसार अपडेट किया जा रहा है

निष्कर्ष

Mini Nuclear Power Plants भारत में ऊर्जा क्रांति ला सकते हैं। SMR तकनीक तेज़ी से लागू की जा सकती है, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों में। हालांकि नीति, सुरक्षा और लागत जैसे विषयों पर काम ज़रूरी है। लेकिन अगर भारत इस दिशा में सही क़दम उठाता है, तो आने वाले दशक में SMR देश की ऊर्जा रीढ़ बन सकते हैं।


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